केंद्र सरकार ने विश्व रेबीज दिवस के ख़ास मौके पर कुत्तों के काटने की वजह से होने वाले रेबीज को 2030 तक पूरी तरह से खत्म करने के लिए बीते दिन राष्ट्रीय कार्य योजना एनएपीआरई की दमदार शुरुआत कर दी है।
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2030 तक करेंगे रेबीज को खत्म
आपको बता दे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और इसी के साथ मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने नेशनल एक्शन प्लान फार डाग मीडिएटेड रेबीज ऐलिमिनेश की शुरुआत कर दी है ।
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दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने साल 2030 तक भारत में कुत्तों के काटने की वजह से होने वाले रेबीज को पूरी तरह से खत्म करने के लिए ‘संयुक्त अंतर-मंत्रालयी का ऐलान समर्थन बयान’ की भी शुरुआत कर दी है। वहीँ स्वास्थ्य मंत्री ने इस बीमारी की वजह से मानव जिंदगी को होने वाले गंभीर नुकसान के बारे में भी बताया है।
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‘हडकवा’ नाम से जाना जाता है गावं में इस बीमारी को
आपको बता दे रूपाला ने देश के ग्रामीण वाले इलाकों में रेबीज के होने वाले खतरे के बारे में खुल कर बताया है। उन्होंने कहा है कि गांवों में इस बीमारी को आम तौर पर ‘हडकवा’ के नाम से जाना जाता है। ग्रामीण वाले इलाकों में महज ‘हडकवा’ के एक जिक्र से ही लोगो के अंदर डर पैदा हो जाता है। गांव के लोग जब ये बात समझेंगे कि रेबीज ही हडकवा की मुख्य वजह है तो वे सक्रिय रूप से आगे आ पाएँगे। वे इसमें सरकार की भी सक्रिय रूप से सहायता करेंगे|
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कई मंत्रालयों के साथ मिलकर बनाई गई योजना
बता दे रूपाला ने वरिष्ठ अधिकारियों से ये भी कहा कि वे इस प्रचलित नाम ‘हडकवा’ का यूज करें जिससे योजना के अंतर्गत और होने वाले सभी कार्यकलापों को और भी ज्यादा लोकप्रिय बनाया जा सके। उन्होंने रेबीज को लेकर टीके और उसकी दवा के बीच के अंतर के बारे में भी जागरूकता फैलाने पर काफी जोर दिया है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के साथ मिलकर इस कार्ययोजना को तैयार किया है।