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विदेश मंत्रालय ने वाशिंगटन में महात्मा गांधी की प्रतिमा में तोड़फोड़ पर की कड़ी निंदा

वाशिंगटन में महात्मा गांधी की प्रतिमा के साथ हुई तोड़फोड़ की घटना पर भारत सरकार ने कड़ी निंदा की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता अनुराग श्रीवास्‍तव ने कहा कि हम उपद्रवियों द्वारा शांति और न्याय की सार्वभौमिक रूप से सम्मानित महात्मा गांधी की प्रतिमूर्ति के खिलाफ बर्बरता की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं। बता दे कि इस बात को अमेरिका स्थित हमारे मिशन ने अमेरिकी अधिकारियों के सामने उठाया है।

जैसा की आप सब जानते है कि बीते दिनों किसानों की मागों के समर्थन में वॉशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास के सामने प्रदर्शन हुए थे। इस प्रदर्शन में शामिल हुए उपद्रवी तत्‍वों ने भारतीय दूतावास के पास लगी बापू यानी महात्मा गाँधी की प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ की। आपको बता दे कि इस घटना से संबंधित एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें देखा जा सकता है कि बापू की प्रतिमा को उपद्रवियों ने कैसे नुकसान पहुंचाया दिया है। बताया जाता है कि प्रदर्शन के दौरान खालिस्तान के झंडे भी लहराए गए थे।

इसके साथ ही मंत्रालय ने यह भी बताया कि बीते 30 जून से भारतीय मर्चेट नेवी का एक जहाज ‘जग आनंद’ विगत जून से उत्तरी चीन के जिंगटैंक बंदरगाह में फंसा हुआ है। यह व्यापारिक जहाज मुंबई की एक कंपनी ‘ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग लिमिटेड’ का है। जिसमें कुल 23 भारतीय सवार थे। जहाज पर मौजूद चालक दल के भारतीय सदस्यों को स्वदेश लौटने के लिए भारत सरकार से मदद मांगी गयी थी। यही नहीं अन्य पोत एमवी अनास्तासिया भी चीन में फंसा हुआ है।

अनुराग श्रीवास्‍तव ने कहा कि एमवी अनास्तासिया 20 सितंबर से चीन के कॉफिडियन पोर्ट के पास लंगर पर ही है। इस जहाज पर लगभग 16 भारतीय सवार हैं। सभी भारतीय जहाज के छोड़े जाने का इंतजार कर रहे हैं। श्रीवास्‍तव ने बताया कि भारतीय दूतावास हर समय चीनी अधिकारियों के संपर्क में है। चीनी अधिकारियों को हालात से भी रूबरू कराया गया है।

उन्‍होंने आगे बताया कि कोरोना काल के चलते लगाए गए प्रतिबंधों के कारण इन बंदरगाहों से क्रू मेंबर्स को जाने की अनुमति नहीं दी गयी है। भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर पूरी सतर्कता बरत रहा है और उनकी घर वापसी के लिए चीनी अधिकारियों के साथ संपर्क में है। वहीं हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार,  जहाज में फंसे भारतीय नागरिक चालक दल के सदस्य पिछले छह महीनों से बहुत खराब परिस्थितियों में जीने को मजबूर हैं। चालक दल के कई सदस्यों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं और उनके पास दवाइयां भी अब खत्म होती जा रही हैं।

 

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