मकर संक्रांति का ख़ास पर्व बस तीन दिन बाद आने वाला ही है। सनातन धर्म में ये त्योहार एक ख़ास त्यौहार में से एक है| मकर संक्रांति के इस ख़ास पर्व को गंगा स्नान,पतंग उत्सव और दान के साथ ही साथ खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन क्या आपको ये पता है कि इस दिन खिचड़ी बनाए जाने की परंपरा होती है। एक खबर के मुताबिक मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी बनाये जाने की परंपरा की शुरूआत कई सदियों पहले बाबा गोरखनाथ ने कर दी थी।
आपको बता दे जब खिलजी ने हमपर आक्रमण बोला तो लगातार संघर्ष करते हुए नाथ योगी भोजन ग्रहण नहीं कर पाते थे। आक्रमण के चलते हुए योगियों के पास खाना बनाने का भी समय नहीं होता था। वह बस अपनी भूमि को बचाने के लिए दिन-रात संघर्ष करते रहते थे और अक्सर ही भूखे रहते थे। खिलजियों के साथ आक्रमण में नाथ योगी भूखे रहकर ही संघर्षरत रहा करते थे। तब बाबा गोरखनाथ ने इस गंभीर समस्या का हल निकालने के बारे में सोचा। लेकिन उनको ये भी ध्यान रखना था कि अधिक समय भी न लगे।
तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एक साथ मिलाकर उसे पकाने की सलाह दे डाली । बाबा गोरखनाथ के द्वारा बताया गया यह व्यंजन नाथ योगियों को बहुत ही ज्यादा पसंद आया। इसे बनाने में बहुत ही कम वक्त लगता था साथ ही ये खाने में भी काफी स्वादिष्ट और त्वरित ऊर्जा देने वाला था। उसके बाद बाबा ने इस व्यंजन को खिचड़ी का नाम दे दिया। कुछ दिन बाद वह खिलजी के आतंक को दूर करने में कामयाब रहे। इसके बाद से ही फिर गोरखपुर में मकर संक्रांति के ख़ास दिन को एक विजय दर्शन त्यौहार के रूप में मनाया जाने लग गया था| इसी वजह से ये त्यौहार बरसों से श्रध्दा से मनाया जा रहा है|